सुदूर संवेदन (Remote Sensing Hindi) क्या है,विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम किसे कहते हैं? — हिंदी ज्ञान कोश

Hindigyankosh
3 min readNov 16, 2021

सुदूर संवेदन (Remote Sensing Hindi) क्या है-

सर्वप्रथम रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing Hindi) शब्द का प्रयोग 1960 के दशक में किया गया था,परंतु बाद में सुदूर संवेदन की परिभाषा इस प्रकार दी गई -

ुदूर संवेदन एक ऐसी प्रक्रिया है जो भूपृष्ठीय वस्तुओं एवं घटनाओं की सूचनाओं का संवेदक, युक्तियों के द्वारा बिना वस्तु के संपर्क में आए मापन व अभिलेखन करता है! सुदूर संवेदन की उपयुक्त परिभाषा में मुख्यता धरातलीय पदार्थ, अभिलेखन युक्तियों तथा ऊर्जा तरंगों के माध्यम से सूचनाओं की प्राप्ति सम्मिलित किया गया है! Hindigyankosh

सुदूर संवेदन किसी लक्ष्य के सीधे संपर्क में आए बिना उसके बारे में जानकारी प्राप्त करने का विज्ञान है इसमें लक्ष्य से परावर्तित या उत्सर्जित ऊर्जा का संवेदन किया जाता है ,इसके पश्चात उसका विश्लेषण करके उसे प्राप्त जानकारी को उपयोग में लाया जाता है,

सुदूर संवेदन (Remote Sensing Hindi) प्रक्रिया का आरंभ एक ऊर्जा स्त्रोत द्वारा लक्ष्य को प्रदीप्त करने से होता है, आपत्तित ऊर्जा लक्ष्य के साथ मिलती है इसका परिणाम लक्ष्य और विकिरण के गुणों पर निर्भर करता है, प्रत्येक लक्ष्य के परावर्तन और उत्सर्जन लक्षण अद्वितीय तथा भिन्न होते हैं (Remote Sensing Hindi)

सुदूर संवेदन का इतिहास (History of Remote Sensing in hindi) -

1858 में एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक जी.एफ. टुर्नामेंट ने एक गुब्बारे की सहायता से पेरिस के ऊपर उड़ते हुए कुछ चित्र लिए और इसके आधार पर कुछ सटीक निष्कर्ष पर पहुंचे! 1862 में गुब्बारों की सहायता से दूरस्थ क्षेत्रों के चित्र लेने का काम अमेरिका सेना द्वारा किया गया! 1962 में पहली बार टेलस्टार नामक एक सक्रिय उपग्रह छोड़ा गया, इसका परिपथ पहले छोड़े गये उपग्रह की तुलना में बड़ा था! टेलीस्टार नामक उपग्रह द्वारा भेजे जाने वाले रेडियो तरंग संकेत काफी कमजोर और ध्वनिरहित थे! इस दोष को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने 1963 में सिंकोम द्वितीय नामक उपग्रह प्रक्षेपित किया! जिसके बाद अगले वर्ष सिंकोम तृतीय उपग्रह छोड़ा गया! इस प्रकार रिमोट सेंसिंग का विकास हुआ! भारत में सुदूर संवेदन का जनक पिशरोथ रामा पिशरोटी को माना जाता है! Hindigyankosh

सुदूर संवेदन के प्रकार (Types of Remote Sensing in hindi) -

सुदूर संवेदन दो प्रकार का होता है-

(1) सक्रिय सुदूर संवेदन (2) निष्क्रिय सुदूर संवेदन

(1) सक्रिय सुदूर संवेदन -

वह संवेदी उपकरण जो स्वयं विद्युत चुंबकीय तरंगे उत्पन्न करते हैं और जिस जगह या वस्तु की जानकारी लेनी है उसकी तरफ उन तरंगों को भेजते हैं और यह तरंगे जब वस्तु से टकराकर आती है तो इन परावर्तित तरंगों के आधार पर आंकड़ों का पता लगाते हैं!

(2) निष्क्रिय सुदूर संवेदन -

इस प्रकार के सुदूर संवेदी उपकरण में सूर्य का प्रकाश वस्तु से परावर्तित होकर इस उपकरण के पास आता है और इस परावर्तित सूर्य के प्रकाश के आधार पर आंकड़ों का पता लगाया जाता है या जानकारी प्राप्त की जाती है! अर्थात निष्क्रिय सुदूर संवेदन में सूर्य के प्रकाश का उपयोग किया जाता है!

सुदूर संवेदन के उपयोग /अनुप्रयोग(Benefits of Remote Sensing in hindi) -

(1) किसी जगह पर या समुद्र में पानी का स्तर या बर्फ की मात्रा आदि का पता भी इन संवेदी उपग्रह की मदद से लगाया जाता है

(2) किसी शहर, आपातकालीन स्थिति का सर्वे या जानकारी आदि का पता भी रिमोट सेंसिंग के द्वारा लगाया जाता है !

(3) किसी युद्ध क्षेत्र में दुश्मनों की स्थिति या उनकी गतिविधियों का पता भी रिमोट सेंसिंग से लगाया जा सकता है !

(4) रिमोट सेंसिंग के द्वारा किसी प्राकृतिक घटनाओं का पता लगाने या स्थिति का अर्थात घटना में क्षति आदि का सर्वे कर भी पता लगाया जाता है !

(5) रिमोट सेंसिंग का प्रयोग भू-आवरण भूमि उपयोग, मृदा संसाधन और कृषि के विकास के लिए किया जाता है

विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम -

विद्युत चुंबकीय विकिरण को उनकी आवृत्ति या तरंगदैर्घ्य के आधार पर वितरित करना अर्थात बांट देना विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम कहलाता है!

सभी विद्युत चुंबकीय तरंगे प्रकाश के वेग से गति करते हैं इसलिए इन तरंगों में विभिन्न प्रकार की आवृत्तियों या तरंगदैर्ध्य और फोटाॅन ऊर्जा की विस्तृत श्रृंखला के रूप में पाई जाती है! इसलिए विद्युत चुंबकीय तरंगों या विकिरणों को अलग-अलग आवृत्तियों, तरंगदैर्घ्य और फोटाॅन ऊर्जा के आधार पर अलग अलग रखा जाता है

जिससे अलग अलग आवृत्तियों, तरंगदैर्घ्य और फोटाॅन ऊर्जा के आधार पर पट्टियां बन जाती है जो एक विशेष आवृत्तियों, तरंगदैर्ध्य ,फोटोन की ऊर्जा को प्रदर्शित करती है इन्हें विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम कहते हैं!

इन्है भी देखें झील किसे कहते हैं ? उत्पत्ति एवं वर्गीकरण,झीलों से संबंधित कुछ तथ्य

Originally published at https://hindigyankosh.com on November 16, 2021.

--

--