वर्षा (Rainfall) किसे कहते हैं? वर्षा के प्रकार — हिंदी ज्ञान कोश

Hindigyankosh
2 min readNov 14, 2021

जब जलवाष्प युक्त वायु तापमान में वृद्धि के कारण ऊपर उठती है और जब ऊपर जाने पर तापमान में कमी आती है, तो वायु में संघनन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है! इस तरह बादलों का निर्माण होता है! कुछ समय पश्चात जल कणों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि वायु का विरोध इसे नहीं रोक पाता और यह जल बूंदों के रूप में धरातल गिरने लगता है जिसे वर्षा (Rainfall) कहते हैं अर्थात जब जलवाष्प की बूंदे जल के रूप में धरातल पर गिरती है, तो उसे वर्षा कहते हैं! वर्षा के प्रकार निम्न हैं -

(1) संवहनीय वर्षा (Conventional Rainfall in hindi) -

जब भूतल बहुत गर्म हो जाता है, तो उसके साथ लगने वाली वायु भी गर्म हो जाती है! वायु गर्म होकर फैलती है और हल्की हो जाती है! यह हल्की वायु ऊपर उठने लगती है और संवहनीय धारा का निर्माण होता है! ऊपर जाकर यह वायु ठंडी हो जाती है और इसमें उपस्थित जलवाष्प का संघनन होने लगता है संघनन से कपासी मेघ बनते हैं जिससे घनघोर वर्षा होती है! इस प्रकार की वर्षा को संवहनीय वर्षा कहते हैं! Hindigyankosh

(2) पर्वतीय वर्षा (Mountain Rainfall in hindi) -

जब जलवाष्प से युक्त गर्म वायु को किसी पर्वत या पठार की ढलान के साथ ऊपर चढ़ना पड़ता है, तो यह वायु ठंडी हो जाती है! ठंडी होने से यह संतृप्त हो जाती है और ऊपर चढ़ने से जलवाष्प का संघनन होने लगता है! जिससे वर्षा होती है! इसे पर्वतीय वर्षा कहते हैं! संसार में सर्वाधिक वर्षा इसी प्रकार की होती है!

(3) चक्रवातीय वर्षा (Cyclonic or Frontal Rainfall in hindi) -

चक्रवात के आंतरिक भाग में जब ठंडी या गर्म होने आपस में टकराती है, तो ठंडी पवने, गर्म पवनों को ऊपर की ओर धकेलती है! ऊपर की ओर उठने वाली पवन ठंडी हो जाती और वर्षा करा देती है! इस प्रकार की वर्षा को चक्रवाती वर्षा कहा जाता है! यह वर्षा धीरे-धीरे किंतु लंबे समय तक होती है! मध्य अक्षांशों में होने वाली अधिकतर वर्षा चक्रवाती वर्षा होती है!

Originally published at https://hindigyankosh.com on November 14, 2021.

--

--