डीएनए फिंगर प्रिंटिंग (DNA Fingerprinting ) प्रक्रिया क्या है?इसके उपयोग, विधि एवं सीमाएं — हिंदी ज्ञान कोश
आनुवांशिकी स्तर पर लोगों की पहचान सुनिश्चित करने की तकनीक को ही डी.एन.ए.फिंगरप्रिंटिंग (DNA fingerprinting) या डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग या अंगुली छाप कहते हैं! वस्तुत: यह एक जैविक तकनीक है जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति के विभिन्न अवयवों जैसे- रक्त, बाल, वीर्य या अन्य कोशिकीय स्रोतों की सहायता से उसके डी.एन.ए. की पहचान सुनिश्चित की जाती है! Hindigyankosh
मनुष्य में अपराध करने की प्रवृति प्राचीन काल से ही विद्यमान है! अपनी अपराधिक प्रवृत्ति कारण मनुष्य ऐसे-ऐसे अपराध कर डालता है कि उसके अपराध साबित कर पाना साधारण तकनीक से संभव नहीं हो पाता! इसलिए आवश्यकता है कि अपराधियों को पकड़ने के लिए वैज्ञानिक आविष्कारों का उपयोग अपराध अनुसंधान में किया जाए!
एक शताब्दी पूर्व फ्रांसीसी गाल्टन ने हीं सर्वप्रथम यह ज्ञात किया कि प्रत्येक व्यक्ति की उंगलियों के निशान पृथक- पृथक होते हैं! समरूप जुड़वा भाई-बहनों की उंगलियों के निशान बहुत महत्त्व रखते हैं तथा अपराधी की पहचान में सहायक होते हैं! रक्त में हिमेटीन क्रिस्टल बनाकर रक्त और रक्त जैसे रंग में अंतर करने की विधि पूर्व से ज्ञात है! रक्त समूह द्वारा पैतृक संपत्ति संबंधी कई झगड़े सुलझाएं जाते हैं! बच्चे के वास्तविक माता-पिता का निर्धारण भी रक्त समूह द्वारा किया जाता है! इन विधियां को न्यायालय द्वारा मान्यता प्राप्त है!
डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग तकनीक DNA fingerprinting फॉरेंसिक साइंस के लिए एक अद्भुत देन है! वर्ष 1984 में ब्रिटिश लीसेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक सर एलेक जेफ्रेज द्वारा डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी का विकास किया गया तथा भारत में डी.एन.ए. फिंगरप्रिंटिंग का जनक लालजी सिंह को माना जाता है!
डीएनए फिंगर प्रिंटिंग तकनीक के उपयोग (Uses of DNA Fingerprinting Technology) -
DNA fingerprinting तकनीक निम्नलिखित विषयों के संबंध में काफी कारगर एवं उपयोगी मानी जाती है-
(1) हनुमान जी की बीमारियों की पहचान एवं उनसे संबंधित चिकित्सकीय कार्यो के लिए!
(2) बच्चों के वास्तविक माता-पिता की पहचान करने में उपयोगी है!
(3) दुर्घटना के दौरान शवों की पहचान करने के लिए!
(4) अपराधिक गतिविधियों से संबंधित गुत्थियों को सुलझाने के लिए उपयोगी है!
(5) पैतृक संपत्ति से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए!
डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग की सीमाएँ (Limitations of Technology) -
DNA fingerprinting की प्रमुख समस्या यह है कि नमूना सरलता से नष्ट हो सकता है! जेनेटिक “जंक” के सूक्ष्मतम कण डी.एन.ए नमूनों को संक्रमित कर उन्हें अनुपयोगी बना सकते हैं! हालांकि डी.एन.ए फिंगरप्रिंटिंग का कार्य करने के लिए उपयुक्त नमून की आवश्यकता होती है, फिर भी पीसीआर(Polymerase Chain Reaction) नामक एक नवीन तकनीक के उपयोग से समस्या का हल निकाला जा सकता है! पीसीआर डीएनए के दुश्मनों का इस्तेमाल कर सकता है और परिणाम दे सकता है!
Originally published at https://hindigyankosh.com on November 5, 2021.